लघु सिंचाई का विकास

चूंकि, जल राज्य का विषय है, इसलिए लघु सिंचाई का समग्र कार्य योजनाएं राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों द्वारा तैयार, नियोजित और कार्यान्वित की जाती है। हालांकि, भारत सरकार को इस क्षेत्र की नीति तैयार करने, डिजाइन और विकास का कार्य सौंपा गया है। भारत सरकार में लघु सिंचाई क्षेत्र का संचालन जल संसाधन मंत्रालय, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय, कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय और ग्रामीण विकास और जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा नियंत्रित किया जाता है। इसी तरह, राज्य स्तर पर, इस क्षेत्र का संलाचन जल क्षेत्र के संबंधित मंत्रालय और विभाग, कृषि, ग्रामीण विकास और जनजातीय कल्याण द्वारा किया जाता है।

विभिन्न राज्यों में लघु सिंचाई योजनाओं के निर्माण के लिए वित्तीय प्रावधान या तो सिंचाई/लघु सिंचाई, जल संसाधन विकास विभाग के माध्यम से या फिर पीडब्ल्यूडी/स्थानीय निकायों के अंतर्गत आने वाले लघु सिंचाई कार्यों के विकास और खेतों में सिंचाई प्रणाली और जल वितरण की विधियों के प्रबंधन के लिए प्रदान किए जा रहे हैं। इसके अलावा, कई राज्यों में लघु सिंचाई कार्यों के नलकूपों की ड्रिलिंग/बोरिंग, कुओं की खुदाई, जल वितरण उपकरणों की खरीद और पाइप, ड्रिप और स्प्रिंकलर प्रणालियों जैसे सूक्ष्म सिंचाई उपकरणों की खरीद में सब्सिडी प्रदान की जा रही है।

ग्रामीण क्षेत्रों में आधारभूत रोजगार गारंटी प्रदान करने के लिए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) लागू किया गया है। यह अधिनियम इस उद्देश्य के लिए किए जा सकने वाले कार्यों को दर्शाता है। मनरेगा के अंतर्गत फोकस किए जाने वाले कार्यों में शामिल हैं:

i. जल संरक्षण और जल संचयन

ii. वानकीकरण और वृक्षारोपण सहित सूखा प्रतिरोधन

iii. सूक्ष्म और लघु सिंचाई कार्यों सहित सिंचाई नहरें

iv. सिंचाई सुविधाओं, वृक्षारोपण, बागवानी आदि का प्रावधान।

v. टैंकों की गाद निकालने सहित पारंपरिक जल निकायों का पुनरूद्धार

vi. जलजमाव वाले क्षेत्रों में जल निकासी सहित बाढ़ नियंत्रण और संरक्षण कार्य

भारत सरकार, जल संरक्षण और प्रबंधन को उच्च प्राथमिकता देने के लिए प्रतिबद्ध है। इस आशय के साथ ही, प्रधान मंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) को तैयार किया गया है, जिसका उद्देश्य स्रोत सृजन, वितरण, प्रबंधन, खेत अनुप्रयोगों और विस्तारित कार्यकलापों पर ध्यान केंद्रित करते हुए अतंतः समाधान हेतु सिंचाई कवरेज को "हर खेत को पानी" और जल उपयोग दक्षता में सुधार करना है। पीएमकेएसवाई न केवल सुनिश्चित सिंचाई के लिए जल संसाधनों के सृजन पर, बल्कि सूक्ष्म स्तर "जल संचय" और "जल सिंचन" के संबंध में वर्षा जल का उपयोग करते हुए संरक्षित सिंचाई के सृजन पर ध्यान केंद्रित करती है। खेत स्तर पर जल उपयोग दक्षता का अधिकतम उपयोग करना सूक्ष्म सिंचाई योजना का एक अभिन्न घटक है। पीएमकेएसवाई राज्य स्तरीय योजनाओं और निष्पादन की संभावनाओं को आत्मसात करता है जो राज्यों को जिला सिंचाई योजनाओं और राज्य सिंचाई योजनाओं के आधार पर अपने स्वयं के सिंचाई विकास को तैयार करने की अनुमति प्रदान करता है।

ऐसे जनजातीय समुदाय हैं जिनकी आबादी घट रही है या स्थिर है, साक्षरता स्तर न्यूनतम है, कृषि-पूर्व स्तर की प्रौद्योगिकी और आर्थिक रूप से पिछड़े हुए हैं। विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (पीवीटीजी) आदिवासियों और छोटी और अलग-अलग बस्तियों / आवासों के साथ-साथ दूरगामी और दुर्गम क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासी सबसे कमजोर वर्ग में आते हैं। विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों के विकास की योजना का उद्देश्य व्यापक रूप से समुदाय की संस्कृति और विरासत को बनाए रखते हुए उनके सामाजिक-आर्थिक विकास की योजना तैयार करना है और उनके प्राकृतिक आवास के दृष्टिकोण को अपनाते हुए उनके सामाजिक और आर्थिक जीवन के सभी क्षेत्रों में कार्य करना है, जिससे कि पीवीटीजी के जीवन की गुणवत्ता में सुधार किया जा सके। सिंचाई उन घटकों में से एक घटक है जिसके तहत जनजातीय परिवारों को सहायता प्रदान की जाती है।

एक केंद्र प्रायोजित योजना "लघु सिंचाई सांख्यिकी का युक्तिकरण" (आरएमआईएस) को वर्ष 1987-88 में 100% केंद्रीय सहायता के साथ राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों के लिए शुरू किया गया था। ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना के बाद से आरएमआईएस योजना केंद्रीय क्षेत्र की योजना "जल संसाधन सूचना प्रणाली का विकास (डीडब्ल्यूआरआईएस)" का हिस्सा बन गई है। बारहवीं योजना के दौरान, आरएमआईएस योजना डीडब्ल्यूआरआईएस नियोजित योजना के "सिंचाई गणना" घटक का एक उप-घटक थी। वर्तमान में सिंचाई गणना ("आरएमआईएस" का मूल घटक) अम्ब्रेला योजना- प्रधान मंत्री कृषि सिंचाई योजना और अन्य योजनाओं के तहत एक स्टैंडअलोन घटक है।

आरएमआईएस योजना का मुख्य उद्देश्य लघु सिंचाई (एमआई) क्षेत्र में प्रभावी योजना और नीति निर्धारण के लिए एक व्यापक और विश्वसनीय डेटाबेस तैयार करना है। इस योजना के तहत किए जाने वाले कार्यों में राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में संचालित लघु सिंचाई योजनाओं की गणना करना है, जिसमें सभी भूजल और सतही जल योजनाएं शामिल हैं (जो अधिकतर 2000 हेक्टेयर तक निजी स्वामित्व में हैं)। अब तक पांच गणनाएं क्रमशः संदर्भ वर्ष 1986-87, 1993-94, 2000-01, 2006-07 और 2013-14 में आयोजित की गई हैं। यह गणना महत्वपूर्ण पहलुओं पर प्रकाश डालती है जिसमें सिंचाई क्षमता का निर्माण और भूजल और सतही जल दोनों में लघु सिंचाई अवसंरचनाओं के माध्यम से उपयोग, इन योजनाओं के मालिकों द्वारा नियोजित जल वितरण प्रणालियों और इन योजनाओं को सक्रिय करने में उपयोग किए जाने वाले स्रोत भी शामिल हैं।

आरएमआईएस योजना के कार्यान्वयन के लिए, प्रत्येक राज्य/संघ राज्य क्षेत्र राज्य के लिए लघु सिंचाई सांख्यिकी के संकलन के लिए एक नोडल विभाग की पहचान करता है। आमतौर पर राज्य सांख्यिकी प्रकोष्ठ राज्य सरकार के चिन्हित नोडल विभाग के अंतर्गत ही बनाए जाते हैं। ये प्रकोष्ठ मंत्रालय की योजना के अनुसार, लघु सिंचाई गणना के आयोजन, समन्वय और पर्यवेक्षण में राज्य के नोडल विभाग के प्रमुख या गणना आयुक्त की सहायता करते हैं।

गृह

लघु सिंचाई गणना

डैशबोर्ड

सांख्यिकीय सारणी

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लघु सिंचाई जनगणना का विकास

राष्ट्रीय स्तर

भुवनेश्वर

  • भुवनेश्वर में क्षेत्रीय प्रशिक्षण कार्यशाला में एनआईसी प्रस्तुति

मंत्रालय की वेबसाइट

अपर महानिदेशक (स्टेट)

लघु सिंचाई शाखा

जल संसाधन मंत्रालय

दूसरी मंजिल, लोक नायक भवन

खान मार्केट
नई दिल्ली - 110003

दूरभाष: +91-11-24691080 

E-mail: adg-mowr[at]nic[dot]indirmi-mowr[at]nic[dot]in

प्रक्रिया

राज्य स्तर

शिमला

• शिमला में क्षेत्रीय प्रशिक्षण कार्यशाला में भाग लेने वाले प्रतिभागी

• शिमला में दो दिवसीय क्षेत्रीय प्रशिक्षण कार्यशाला

सीजीडब्ल्यूबी

तकनीकी निदेशक

जल संसाधन सूचना विज्ञान प्रभाग

राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र

409, श्रम शक्ति भवन

रफ़ी मार्ग

नई दिल्ली - 110001

दूरभाष: +91-11-23710312

Email: gkt[at]nic[dot]inkkumar[at]nic[dot]in

कार्यक्रम

  • छठी एमआई जनगणना
  • 5वीं एमआई जनगणना
  • चौथी एमआई जनगणना
  • तीसरी एमआई जनगणना
  • दूसरी एमआई जनगणना
  • पहली एमआई जनगणना

प्रमुख मानदंड

गंगटोक

सीडब्ल्यूसी

अनुदेश पुस्तिका

  • छठी एमआई जनगणना
  • जल निकायों की जनगणना
  • 5वीं एमआई जनगणना

देहरादून

कृषि गणना

रिपोर्ट

  • 5वीं एमआई जनगणना
  • चौथी एमआई जनगणना
  • तीसरी एमआई जनगणना
  • दूसरी एमआई जनगणना
  • पहली एमआई जनगणना

औरंगाबाद

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